लो बीत गए 26 बरस, सपनो सा लगता जहाँ अभी,
मीलों पैदल चल कर आये, मीलों पैदल चलना हैं अभी।
कुछ साथ अनुभवों को लेकर, कुछ साथ दुआओं को लेकर,
कुछ साथ यादों को लेकर, आगे बढ़ना हैं और अभी।
जननी की मीठी लोरी की,
मिठास आज तक आती हैं,
वो आँचल की छाँव कवच सी,
आज भी साथ निभाती हैं,
लो बड़े हुए तो भूल गए,
वो आदतें सारी बचपन की।
लो बीत गए……………
चलती हैं रातें पूनम की,
कभी दौर अमावास के आतें है,
कुछ सपने सपने रहतें है,
कुछ सपने जीवन बन जातें हैं,
जीवन तो यु ही चलता हैं,
कुछ समय निकालों कभी कभी।
लो बीत गए…………….
जीवन की टेढी गलियों से,
अनुभव के लम्हें गुजरतें हैं,
कुछ खट्टी यादें जीवन में,
कुछ मीठे पल भी मिलतें हैं,
मिलतें है यहाँ पर रावन तो,
मिलतें है यहाँ पर राम कभी।
लो बीत गए…………….
आगे की और मुंह कर के,
चलतें हमेशा जाना हैं,
कुछ कंकड़ पत्थर राहों के,
उनको हटाते जाना है,
चलना ही है नियति तेरी,
एक दिन मंजिल को पाना हैं,
चलते-चलते राहों में,
यु ही साथ रहें हरदम सभी।
लो बीत गए…………….
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